हमारी सड़कें अतिक्रमण की शिकार हैं। फुटपाथ विलुप्त हो गए हैं। रखरखाव पर निवेश बहुत कम है। निर्माण और मरम्मत का काम सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर होता है। सड़कों की डिजाइन में खामियां और ब्लाइंड स्पाट्स अर्से से कायम हैं।
इसे कड़वा सत्य कहें या बार-बार दोहराया जाने वाला तथ्य कि भारत में अस्वाभाविक मृत्यु के मामलों में सबसे अधिक मौतें सड़क दुर्घटनाओं में होती हैं। युद्ध, हत्या और दंगों जैसे तमाम मानव जनित कारकों के अतिरिक्त प्राकृतिक आपदाओं के कारण देश में कुल जितनी मौत होती हैं, उससे अधिक लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। यह तब है जब भारत में वैश्विक वाहनों की कुल संख्या के मात्र एक प्रतिशत वाहन ही हैं, जबकि दुनिया भर में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली 11 प्रतिशत मौतें भारत में होती हैं। विश्व भर में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में हम तीसरे पायदान पर हैं तो जानलेवा सड़क हादसों में अव्वल आने का कलंक भी हमारे माथे है।