उत्तराखंड में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्रों की संख्या घट रही है। 2019 के मुकाबले ये संख्या करीब पचास फीसदी ही रह गई है। जहां 2019 तक राज्य के विभिन्न कालेजों में तीन हजार से ज्यादा कश्मीरी छात्र थे। वहीं इस साल इनकी संख्या करीब 16 सौ के आसपास ही रह गई है। इसे लेकर देश भर के कश्मीरी छात्रों के संगठन जेएंडके स्टूडेंट एसोसिएशन ने चिंता जताई है। अगले माह संगठन के पदाधिकारी राज्यपाल व सीएम से इस मामले पर मुलाकात करेंगे।
संगठन के राष्ट्रीय संयोजक नासिर खुएहामि ने बताया कि कश्मीर में कोई बड़ा कालेज ना होने के कारण वहां के छात्र हायर एजुकेशन के लिए उत्तराखंड सहित देश के विभिन्न राज्यों में जाते हैं। नासिर के अनुसार पुलवामा हमले के बाद जो डर और शक का माहौल बना था उससे कश्मीरी और उत्तराखंडियों के बीच एक गैप आ गया था। सरकार और पुलिस ने सुरक्षा तो दी, लेकिन इस गैप को कम करने की कोशिश नहीं की।
इस बारे में डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा को लेकर सरकार व पुलिस पूरी तरह तत्पर है। 2019 में पुलवामा हमले के बाद एक एएसपी स्तर का अधिकारी छात्रों से लाइजनिंग व उनकी समस्याएं सुनने को मुख्यालय में तैनात किया था। बीच में कुछ तबादले होने के कारण ये व्यवस्था शायद सुचारु नहीं चल रही। इसे दोबारा सुचारु करवाया जाएगा।