भारत से Apple के iPhone का निर्यात अप्रैल के बाद से पांच महीनों में 1 बिलियन डॉलर को पार कर गया है। एक ऐसा देश जो तमाम झंझावातों को झेलते हुए अपनी कामयाबी की नई इबारत लिखने को तैयार है, यह कोई छोटी बात नहीं। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स चीजों के निर्माण में एक ताकत के रूप में उभर रहा है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा आंकड़ों के आधार पर यूरोप और मध्य पूर्व के देशों में भारत में बने हुए iPhones की आउटबाउंड शिपमेंट मार्च 2023 तक 2.5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। यह मार्च 2022 तक भारत द्वारा निर्यात किए गए 1.3 बिलियन डॉलर मूल्य के iPhones का लगभग दोगुना है।
हालांकि iPhone के कुल प्रोडक्शन में भारत का हिस्सा बहुत कम है। देश का बढ़ता निर्यात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस योजना के मुताबिक है, जो प्रोडक्शन के क्षेत्र में भारत को चीन के विकल्प के रूप में स्थापित करने के लिए बनाई गई है। बड़ी-बड़ी कंपनियां अब भारत की ओर आकर्षित हो रही हैं। Apple, जिसने लंबे समय से अपने अधिकांश iPhones चीन में बनाए हैं, नए विकल्प की तलाश कर रहा है। चीन और अमेरिका की खींचतान ने आर्थिक गतिविधियों को बाधित किया है। इसके बाद ऐपल ने भारत को तहजीह दी है।
ऐपल के मैन्युफैक्चरिंग स्टैंडर्ड और इसके निर्यात में आए उछाल को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि भारत धीरे-धीरे कंपनियों की चीन प्लस वन रणनीति में महत्वपूर्ण स्थान ग्रहण कर रहा है। यह भारत के लिए एक बहुत बड़ी सफलता है। 2020 में पीएम मोदी के 6 बिलियन डॉलर के पुश-अप प्लान ने इस दिग्गज अमेरिकी तकनीकी कंपनी को भारत में उत्पादन में तेजी लाने के लिए प्रेरित किया।