आज उत्तराखंड में हर ओर पहाड़ की लोकसंस्कृति की छटा बिखरेगी। जगह-जगह मंडाण लगाए जाएंगे। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को लोकपर्व इगास मनाया जाता है।
आज शुक्रवार को 11 दिन बाद दिवाली बनाई जाएगी। इसके पीछे दो मान्यताएं प्रचलित हैं। लोकपर्व इगास बग्वाल में भैलो व पारंपरिक नृत्य के साथ पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद चखने को मिलेगा। उत्तराखंड में कई जगह इसे लेकर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
- इगास में आतिशबाजी नहीं की जाती, बल्कि रात को पारंपरिक भैलो खेला जाता है।
- वहीं रात को भैलो खेलने के लिए पर्वतीय क्षेत्रों से चीड़ के छील (लकड़ी) और पारंपरिक वाद्य यंत्र मंगाए गए हैं।
- इस लोक पर्व पर उत्तराखंड सरकार द्वारा लगातार दूसरी बार राजकीय अवकाश घोषित किया गया है।
- राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को इगास बग्वाल पर्व की शुभकामनाएं दी हैं।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने अपने संदेश में कहा कि यह पर्व प्रदेशवासियों के जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली लाए। यह त्यौहार उत्तराखंड की लोक संस्कृति का प्रतीक है। यह पूर्वजों की धरोहर व पर्वतीय संस्कृति की विरासत है। राज्यपाल ने कहा कि हमें अपने लोकपर्व व संस्कृति को संरक्षित रखने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संदेश में कहा कि हमारे लोकपर्व हमारी समृद्ध संस्कृति की पहचान हैं। यहां इगास व बूढ़ी दीवाली मनाने की परंपरा है। सभी इस त्यौहार को मना सकें, इसलिए सरकार ने इस पर्व पर अवकाश घोषित किया है। उन्होंने कहा कि केवल अवकाश देने से लोक संस्कृति समृद्ध नहीं होगी, बल्कि ऐसे पर्वों को जनसहभागिता व पूरे उत्साह के साथ मना कर जड़ें मजबूत करनी होंगी। उन्होंने अपील की कि सभी अपने गांव पहुंचें और इस लोकपर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाएं।