उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को सचिवालय में कैबिनेट बैठक हुई। बैठक में कुल 26 प्रस्ताव आए। बैठक में उत्तराखंड लॉजिस्टिक नीति प्रस्ताव पास किया गया। वहीं कहा गया कि विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को 143 विशेष शिक्षक दिए जाएंगे।
वहीं वनन्तरा रिर्साट प्रकरण के बाद प्रदेश में अब राजस्व क्षेत्रों में सिविल पुलिस की तैनाती करने की कवायद शुरू हो गई है। इस कड़ी में शासन ने पुलिस मुख्यालय से प्राथमिकता के आधार पर पुलिस क्षेत्र में शामिल किए जाने वाले राजस्व क्षेत्रों के प्रस्ताव देने को कहा है, जिस पर मुख्यालय ने प्रस्ताव देने शुरू भी कर दिए हैं।
अब इन सभी प्रस्तावों को संकलित कर कैबिनेट के सम्मुख लाया जाएगा। कैबिनेट की अनुमति के बाद राजस्व क्षेत्रों में पुलिस की तैनाती कर दी जाएगी। प्रदेश के राजस्व क्षेत्रों में अंग्रेजों के समय से पटवारी पुलिस यानी राजस्व पुलिस व्यवस्था चली आ रही है।
दरअसल, प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में पहले सिविल पुलिस की आवश्यकता थी भी नहीं। अमूमन यहां कभी भी बड़े स्तर के आपराधिक मामले सामने नहीं आए। जमीन व आपसी झगड़ों का समाधान गांव के पटवारी आसानी से कर लेते थे। ग्रामीण भी इसी व्यवस्था में खुश थे। प्रदेश में पहले पुलिस की पारंपरिक छवि अच्छी नहीं थी।
यही कारण रहा कि राज्य गठन के बाद जब भी पर्वतीय क्षेत्रों में थाने व चौकियां खोलने का प्रयास होता तो स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर जनता इसका विरोध करती। इसी कारण किसी सरकार ने इस व्यवस्था को बदलने की जरूरत न समझी और न ही रुचि दिखाई।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेश के राजस्व क्षेत्रों को चरणबद्ध तरीके से सिविल पुलिस के दायरे में लिया जाएगा। इसके अंतर्गत राजस्व पुलिस के दायरे में आने वाले 7500 गांवों में से पहले चरण में 1500 गांवों को लिया जाएगा। ये गांव वे होंगे, जहां पर्यटन की गतिविधियां बढ़ी हैं। अब इसी कड़ी में शासन ने पुलिस मुख्यालय से प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं।